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*सावंली*

बारात खाली लौट चुकी थी, शादी के मेहमान भी सारे लौट चुके थे..इस बार शादी दहेज के लिए नहीं ..लड़की के सावले पन की वजह से टूटी थी...लड़की का बाप सबके पैरों मे गिरा था...आखीर बाप था बेटी का, और बेटे से ज्यादा बेटी सम्मानित करती है बाप को। और एक बाप हमेशा अपनी बेटी के कारण सम्मानित होना चाहता है। सगाई के दिन तक लड़का को आयसा (लड़की का नाम) पसंद थी मगर शादी के वक्त उसने लड़की को उसके सावलेपन के कारण छोड़ दिया।
( एक बात कहूँ दोस्तों? बुरा मत मानना, मैं लड़का हूँ ..भले मेरा चेहरा आलू जैसा हो मगर लड़की तो मुझे पनीर जैसी ही गोरी और खूबसूरत चाहिए)

आयसा के पिता खाली कुर्सीयो के बिच बैठकर बहुत देर तक रोते रहे...(घर मे बस दो ही लोग, बाप और बेटी आयसा । जब आयसा पांच साल की थी तब माँ चल बसी थी, )
अचानक उन्हें ख्याल आया अपनी बेटी आयसा का, कहीं बारात लौटने की वजह से मेरी बेटी??????
दौड़कर भागते है आयसा के कमरे की ओर..मगर ये क्या? आयसा दो कप चाय लेके मुस्कुराती हुई आ रही थी अपने पापा की ओर। दुल्हन के जोड़े की जगह घर मे काम करते पहन ने वाले कपड़े थे शरीर पर , पापा हैरान उसको इस हालत मे देखकर, गम की जगह मुस्कुराहट निराशा की जगह खुशी, कुछ समझ पाते इससे पहले आयसा बोल पडी।
बाबा चलो जल्दी से चाय पिओ, और फटाफट ये किराये की पांडाल और कुर्सीया बर्तन सब पहुँचा देते है जिनका है वरना बेकार मे किराया बढ़ता रहेगा,
इधर पापा के लिए आयसा पहेली बन चुकी थी। बस पापा तो अपनी बेटी को खुश देखना चाहते थे वजह कोई भी हो। इसलिए वजह नही पूछा उन्होंने ।
फिर वह बेटी से बोलते है की...बेटी..चल गाँव वापस जाते है यंहा शहर मे अब दम घुटता है
आयसा मान जाती है। फिर कुछ दिनों बाद वह शहर छोड़ गाँव वापस आ जाते हैं । गाँव मे वह मछली पकड़ने का काम करते थे मगर आयसा के मां के गुजर जाने के बाद उनकी यादों से पिछा छुड़ाने के लिए शहर जाके मजदूरी का काम करते थे।
अब फिर उन्होंने वही पेशा अपनाया था, आयसा भी रोज अपने बाबा के साथ मछली मारने जाने लगी, इधर उस लड़के का एक खूबसूरत गोरी लड़की से शादी तय हो चुका था, लड़का बेहद खुश था, मगर उसे भी शौक था कि दोस्तों के साथ शहर से दूर घूमने का, बस एक दिन ऐसे ही घूमने निकले थे और नदी किनारे मजाक मस्ती कर रहे थे दोस्तो के साथ की पैर फिसलकर गहरे पानी मे लड़का गीर जाता है। नदी का बहाव तेज भी था और गहरा भी, लड़के को बहा ले जाती है नदी, उसके दोस्त बहुत कोशिश करते हैं बचाने की मगर सब व्यर्थ ।
इधर एक सुबह आयसा के पापा के पापा अकेले नदी जाते है एकदम तडके भोर, तो वंहा रात को बिछाये उनके जाल पे लड़का फँसा मिलता है। वह तुरंत अंधेरे मे ही लड़के को अपने कंधे पे उठाके अपने घर लाते हैं। जंहा बहुत मसक्कत के बाद लड़के को होश आता है। मगर सामने आयसा और उसके पापा को देखकर बहुत शर्मा जाता है और तुरंत यादश्त जाने की एक्टीगं करता है।
पापा - बेटी ...लड़के को कुछ पता नहीं शायद ये अपनी यादस्त खो चुका है। और इसे कुछ चोटे भी आई है। मैं शहर पहुँचा देता हूँ इसको,
आयसा - रहने दीजिए दो चार दिन पापा...जब घाव भर जायेगी तो तब छोड़ देना,
पापा - तू जानती है ये कौन है?
आयसा - मुस्कुराके अपने बाबा से लिपटकर कहती है...क्यों नहीं बाबा, जानती हूँ । मगर वह पुरानी बातें जो बित चुकी है। अब नया ये है की इनके घाव का इलाज किया जाये। वैसे भी इन्हें अब सावलेपन से कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए क्योंकि ये अपनी यादस्त खो चुके हैं। ये हमारे घर आये घायल मेहमान है इसलिए इन्हें पूरी तरह ठीक करना हमारा धर्म है।
मगर आयसा के पापा ने मुस्कुराहट के बिच भी बेटी के पलकों पे कुछ नमी महसूस जरूर कि थी, इधर लड़का सारी बाते सुन लेता है। वह बेहद हैरान था इस वक्त।
लड़का का इलाज शुरू होता है। इधर हर समय लड़की लड़के की देखभाल करती है। आयसा के ख्याल रखने के तरिके को देखकर, लड़के को बहुत प्यार हो जाता है आयसा से। हंसी मजाक तकरार होती रहती है दोनों में ।
एक दिन जब लड़के का घाव भर जाता है तो लड़का आयसा से कहता है की।
मैं कौन हूँ कहा से आया मेरा नाम क्या है कुछ नहीं जानता मगर तुम्हारा अपनापन देखकर मुझे यहीं रहने को दिल करता है हमेशा के लिए।
आयसा - आप चिंता न करो हमारे बाबा आपको कल शहर छोड़ देंगे और आपको गाड़ी के छत पर बिठाके निचे लिख देंगे की एक खूबसूरत नौजवान के माता पिता के घर का पता बताने वाले को एक लाख दिया जायेगा😂
लड़का - मेरा मजाक उड़ा रही हो?😢
आयसा - अरे नहीं नहीं, हमारी इतनी औकात कहा जो हम किसी का मजाक उडा़ सके।
लड़का - तुमने कभी किसी से प्यार किया है आयसा?
आयसा - नहीं
हाँ मगर किसी एक को मैंने अपनी दुनिया मानी थी मगर उसने मुझे अपना बनाने से इंकार कर दिया ।
लड़का - जरूर वह कोई पागल ही होगा जिसने तुम्हें ठुकराने की गलती की है
आयसा - नहीं नहीं वह एक समझदार लड़का था। पागल होता तो मुझे जरूर अपना बनाता,
लड़का - यदि वह लड़का फिर से दोबारा अपनी गलती को स्वीकार करके तुम्हें अपनाने आ जाये तो क्या उसे माफ करके उसके साथ शादी करोगी?
इधर आयसा के पापा दुसरे कमरे से दोनों की बातें सुन रहे थे।
आयसा - गलती उनकी कुछ भी नहीं थी तो मैं कैसे बिना गलती के उन्हें माफ कर दूँ। गलती तो मेरी थी।
लड़का खुश होकर कहता है की इसका मतलब तुम उस लड़के से शादी कर सकती हो?
आयसा - बिलकुल नहीं । अब दोबारा उनसे शादी के बारे मे सोच भी नहीं सकती
लड़का - मगर क्यों? अब फिर क्या उलझन है?
आयसा कुछ देर खामोश रहती है और खिड़की की ओर देखने लगती है शायद कुछ कहने से पहले खुद को सम्भालना चाहती थी, शायद पलकों पे दर्द पिघल रहा था। अंदर उसके पापा भी हैरान चकित होके वजह सुनने को बेताब है।
लड़का पास जाके आयसा को अपनी तरफ करता है मगर आयसा की पलकों पे आशुओ का सैलाब देखकर कुछ कहने की हिम्मत नहीं होतो...
आयसा अपनी पलको को उँगली से साफ करते हुए कहते है की...उस दिन मैंने अपने बाबा को उस इंसान के पैरों पे सर रखके मेरे लिए गिडगिडाकर रोते हुये देखी थी...मेरे उस बाप को जो मेरा अभीमान मेरा घमंड है। पता है उस दिन मैं तशल्ली से अकेले मे रोयी...
बारात लौट चुकी थी। लोग आस्ते आस्ते जा चुके थे मगर एक शख्स ऐसा भी था जो अपनी बेटी के लिए सबके पैर पकड़ पकड़ के थक सा गया था वह सिर्फ अकेला बैठा था अपनी तक्दीर पर रोने के लिए। खिड़की से बहुत देर तक मेरे उस बेबस बाबा को नमी आखो से देखती रही जो मेरा सबकुछ था। मैंने अचानक अपनी पलकों को पोंछा फिर ठीक से धोया और दुल्हन के वस्त्र खोलकर दूसरी पहन ली, फिर चाय बनाई
कितना मुश्किल था उस वक्त खुद के आशुओ को रोकना। क्योंकि उस दिन मेरी जिंदगी लौटी थी मुझे एक लाश समझकर । जरूरी था मूस्कुराना, क्योंकि सामने वह शख्स था जो मेरी आशु देखता तो शायद जी नहीं पाता,
मुझे मुस्कुराना था अपने बाबा के लिए क्योंकि मेरी खूबसूरत राजगद्दी के मेरे बाबा मेरे राजा है और मैं उनकी राजकुमारी। मुझे सावली मानकर एक शख्स ने ठुकरा दिया मगर मेरे बाबा मेरे लिए वह शख्स थे जब मेरे पाँच साल की उम्र मां गुजर गयी तब भी इन्होंने दूसरी शादी नहीं की कहीं उनकी राजकुमारी को कोई दूसरी औरत आके न सताये..
अंदर आयसा के पापा का बुरा हाल था, पहली बार वह अपनी बेटी के मुँह से वह दर्द की कहानी सुन रहे थे जिस दर्द को बाप की खातिर झूठे मुस्कान की चादर से बेटी ने ढक के रखा था,मर्द था वह बाप मगर बेटी के दर्द ने मोम की तरह पिघला के रख दिया था,
इधर आयसा रोते रोते आगे कहती है की...हर बेटी के अच्छे बाप की जिंदगी और मौत बेटी के पलकों पे छुपी होती है। जंहा बेटी मुस्कुराई वहाँ एक पिता को दोगुनी जिंदगी मिलती है और जंहा बेटी रोयी बाप एक तरह से मर ही जाता है। मैं सावली थी उनके लिए मगर मै अपने पापा के लिए एक परी एक राजकुमारी हूँ ।
उन्होंने बारात लौटी दी मेरी दहलीज से मगर मेरे पापा ने उस शहर को ठोकर मार दी जहाँ उनकी राजकुमारी का अपमान हुआ था। अब सोचो न आप ही कैसे कर लूँ शादी दोबारा उस शख्स से जिसने मेरे खुदा को अपने कदमों मे झुकाया हो ।
माना सावली हूँ मैं मगर हूँ तो एक बेटी ही न?
लड़का पलके झूकाये सुनता रहा। सर उठाया तो कमबख्त भी रो रहा था एक सावली लड़की के दर्द को सुनकर। लड़के कुछ नहीं सुझा तो अपने आप एक हाथ उठाकर आयसा ‌ को सल्यूट कर बैठा और धीमे से कहा।
क्या मै तुम्हें एक बार गले से लगा सकता हूँ? आयसा कुछ नहीं कहती मगर लड़का तुरंत आयसा से गले लगकर बस इतना ही कहता है...की भगवान करे मुझे एक सावली लड़की मिले
अरदास है मेरी कि मुझे तुम मिले😢 फिर आयसा को उसी हालत पे छोड़ के आयसा के पिता के कमरे मे लड़का आता है। जंहा आयसा के पिता बैठकर रो रहे थे लड़के को देखकर अचानक खड़े हो जाते है मगर तब तब लड़का उनके पैरों मे गिरकर माफी माँगता है और खड़े होके कहता है की..मेरी यादस्त बिलकुल ठीक है मगर आप ये बात आयसा को मत बताना वरना ये गुनाह पहले गुनाह से बड़ा होगा, शायद यादस्त मेरी उस वक्त गयी थी जब मैंने आयसा को ठुकराया था आपको झूकाया था।
मैं कोई सफाई नहीं दूंगा अपनी बेगुनाही की। हाँ मैंने गुनाह किया है मगर कोई मुझे सजा तो दे कहते कहते लड़का रोने लगता है। मुझे मेरे गुनाहो की सजा के रूप मे आयसा दे दिजीए। मुझे आपकी परी चाहिए आपकी राजकुमारी चाहिए।
आयसा के पापा - जाओ बेटा घर जाओ...आपके अपने तलाश कर रहे होंगे। मैं ठहरा एक बाप, मै तो हमेशा उसे खुश देखना चाहता हूँ। मगर इस बार एक बाप खामोश रहेगा इस बार मैंने पूरा हक दिया है मेरी परी को की...वह खुद ढूँढे अपनी खुशी। क्योंकि एक बार दहलीज से उसकी खुशियों को मुँह मुड़कर लौटते देखा है मैंने ।
अबकी बार ऐसा हुआ तो शायद मै.....
तभी लड़का उनके मुँह मे हाथ रखके कहता है...नहीं बाबा नहीं...आपको जिंदा रहना होगा आयसा के लिए और आयसा की खुशी ही आप हो। मैं इंतजार करूँगा की कब मेरे गुनाहो की पैरवी होती है। उस दिन जज भी आयसा ‌ होगी और वकील भी आयसा । सजा दे या रिहा करे... मैं बस उसका ही हूँ 😢😢इतना कहके लड़का कहता है आगे...बाबा अब आज्ञा दीजिए हमें । हम निकलते है और एक दिन यंहाँ रहा तो मैं जी नहीं सकूँगा आयसा का गुनाहगार बनके। लड़का निकल जाता है इतना कहके। आयसा दूर तक जाते देखती रहती है अपनी जिंदगी को। मगर पलकों मे एक उम्मीद की नमी थी उसके वापस आने की,
क्योंकि आयसा लड़के और अपने बाबा की बात सुन चुकी थी
बाबा - आयसा तू एक बार और सोच ले क्योंकि वह पश्चाताप की आग मे जल रहा है। तेरी खुशी किसमे है पता नहीं मगर मेरी खुशी तो तू है और तेरे बाबा का दिल कहता है । चल फिर तुझे सजा दू दुल्हन के रूप मे उसी लड़के के साथ जिसने तूझे सावली कहा था😢😢😢
आयसा - बाबा । हम तो बस आपको खुश देखना चाहते है। लोग जितना भी नफरत क्यों न करे हमसे। जीतना भी सतायेगा क्यों न हमें कोई फर्क नहीं पड़ता मगर जिस दिन आपको दुखी देखा मैंने
उस दिन टूट जाउगी मै😢😢😢
इधर आयसा अपने बाप की खुशी मे तैयार हो जाती है
उधर लड़का अपने मा बाप को लाता है
इधर लड़का जिद करता है की शादी शहर मे हो उसी घर मे हो जहाँ से मैंने मेरी सावली को ठुकराया था।
सब मान जाते है।
हाँ लड़का पश्चाताप करना चाहता था। उस कलंक को मिटाना चाहता था जिसके वजह से उसकी सावली दुःखी हो गयी थी



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