वो दिन
_चश्मा साफ़ करते हुए उस बुज़ुर्ग ने_
_अपनी पत्नी से कहा : हमारे ज़माने में_
_मोबाइल नहीं थे..._
_अपनी पत्नी से कहा : हमारे ज़माने में_
_मोबाइल नहीं थे..._
_*पत्नी*_ :
_पर ठीक 5 बजकर 55 मिनट पर_
_मैं पानी का ग्लास लेकर_
_दरवाज़े पे आती और_
_आप आ पहुँचते..._
_पर ठीक 5 बजकर 55 मिनट पर_
_मैं पानी का ग्लास लेकर_
_दरवाज़े पे आती और_
_आप आ पहुँचते..._
_*पति*_ :
_मैंने तीस साल नौकरी की_
_पर आज तक मैं ये नहीं समझ_
_पाया कि_
_मैं आता इसलिए तुम_
_पानी लाती थी_
_या तुम पानी लेकर आती थी_
_इसलिये मैं आता था..._
_मैंने तीस साल नौकरी की_
_पर आज तक मैं ये नहीं समझ_
_पाया कि_
_मैं आता इसलिए तुम_
_पानी लाती थी_
_या तुम पानी लेकर आती थी_
_इसलिये मैं आता था..._
_*पत्नी*_ :
_हाँ... और याद है..._
_तुम्हारे रिटायर होने से पहले_
_जब तुम्हें डायबीटीज़ नहीं थी_
_और मैं तुम्हारी मनपसन्द खीर बनाती_
_तब तुम कहते कि_
_आज दोपहर में ही ख़्याल आया_
_कि खीर खाने को मिल जाए_
_तो मज़ा आ जाए..._
_हाँ... और याद है..._
_तुम्हारे रिटायर होने से पहले_
_जब तुम्हें डायबीटीज़ नहीं थी_
_और मैं तुम्हारी मनपसन्द खीर बनाती_
_तब तुम कहते कि_
_आज दोपहर में ही ख़्याल आया_
_कि खीर खाने को मिल जाए_
_तो मज़ा आ जाए..._
_*पति*_ :
_हाँ... सच में..._
_ऑफ़िस से निकलते वक़्त_
_जो भी सोचता,_
_घर पर आकर देखता_
_कि तुमने वही बनाया है..._
_हाँ... सच में..._
_ऑफ़िस से निकलते वक़्त_
_जो भी सोचता,_
_घर पर आकर देखता_
_कि तुमने वही बनाया है..._
_*पत्नी*_ :
_और तुम्हें याद है_
_जब पहली डिलीवरी के वक़्त_
_मैं मैके गई थी और_
_जब दर्द शुरु हुआ_
_मुझे लगा काश..._
_तुम मेरे पास होते..._
_और घंटे भर में तो..._
_जैसे कोई ख़्वाब हो..._
_तुम मेरे पास थे..._
_और तुम्हें याद है_
_जब पहली डिलीवरी के वक़्त_
_मैं मैके गई थी और_
_जब दर्द शुरु हुआ_
_मुझे लगा काश..._
_तुम मेरे पास होते..._
_और घंटे भर में तो..._
_जैसे कोई ख़्वाब हो..._
_तुम मेरे पास थे..._
_*पति*_ :
_हाँ... उस दिन यूँ ही ख़्याल_
_आया_
_कि ज़रा देख लूँ तुम्हें..._
_हाँ... उस दिन यूँ ही ख़्याल_
_आया_
_कि ज़रा देख लूँ तुम्हें..._
_*पत्नी*_ :
_और जब तुम_
_मेरी आँखों में आँखें डाल कर_
_कविता की दो लाइनें बोलते..._
_और जब तुम_
_मेरी आँखों में आँखें डाल कर_
_कविता की दो लाइनें बोलते..._
_*पति*_ :
_हाँ और तुम_
_शरमा के पलकें झुका देती_
_और मैं उसे_
_कविता की 'लाइक' समझता..._
_हाँ और तुम_
_शरमा के पलकें झुका देती_
_और मैं उसे_
_कविता की 'लाइक' समझता..._
_*पत्नी*_ :
_और हाँ जब दोपहर को चाय_
_बनाते वक़्त_
_मैं थोड़ा जल गई थी और_
_उसी शाम तुम बर्नोल की ट्यूब_
_अपनी ज़ेब से निकाल कर बोले.._
_इसे अलमारी में रख दो..._
_और हाँ जब दोपहर को चाय_
_बनाते वक़्त_
_मैं थोड़ा जल गई थी और_
_उसी शाम तुम बर्नोल की ट्यूब_
_अपनी ज़ेब से निकाल कर बोले.._
_इसे अलमारी में रख दो..._
_*पति*_ :
_हाँ... पिछले दिन ही मैंने देखा था_
_कि ट्यूब ख़त्म हो गई है..._
_पता नहीं कब ज़रूरत पड़ जाए.._
_यही सोच कर मैं ट्यूब ले आया था..._
_हाँ... पिछले दिन ही मैंने देखा था_
_कि ट्यूब ख़त्म हो गई है..._
_पता नहीं कब ज़रूरत पड़ जाए.._
_यही सोच कर मैं ट्यूब ले आया था..._
_*पत्नी*_ :
_तुम कहते ..._
_आज ऑफ़िस के बाद_
_तुम वहीं आ जाना_
_सिनेमा देखेंगे और_
_खाना भी बाहर खा लेंगे..._
_तुम कहते ..._
_आज ऑफ़िस के बाद_
_तुम वहीं आ जाना_
_सिनेमा देखेंगे और_
_खाना भी बाहर खा लेंगे..._
_*पति*_ :
_और जब तुम आती तो_
_जो मैंने सोच रखा हो_
_तुम वही साड़ी पहन कर आती..._
_और जब तुम आती तो_
_जो मैंने सोच रखा हो_
_तुम वही साड़ी पहन कर आती..._
_फिर नज़दीक जा कर_
_उसका हाथ थाम कर कहा :_
_हाँ, हमारे ज़माने में_
_मोबाइल नहीं थे..._
_उसका हाथ थाम कर कहा :_
_हाँ, हमारे ज़माने में_
_मोबाइल नहीं थे..._
_पर..._
_हम दोनों थे!!!_
_*पत्नी*_ :
_आज बेटा और उसकी बहू_
_साथ तो होते हैं पर..._
_बातें नहीं व्हाट्सएप होता है..._
_लगाव नहीं टैग होता है..._
_केमिस्ट्री नहीं कमेन्ट होता है..._
_लव नहीं लाइक होता है..._
_मीठी नोकझोंक नहीं_
_अनफ़्रेन्ड होता है..._
_उन्हें बच्चे नहीं कैन्डीक्रश सागा,_
_टैम्पल रन और सबवे सर्फ़र्स चाहिए..._
_आज बेटा और उसकी बहू_
_साथ तो होते हैं पर..._
_बातें नहीं व्हाट्सएप होता है..._
_लगाव नहीं टैग होता है..._
_केमिस्ट्री नहीं कमेन्ट होता है..._
_लव नहीं लाइक होता है..._
_मीठी नोकझोंक नहीं_
_अनफ़्रेन्ड होता है..._
_उन्हें बच्चे नहीं कैन्डीक्रश सागा,_
_टैम्पल रन और सबवे सर्फ़र्स चाहिए..._
_*पति*_ :
_छोड़ो ये सब बातें..._
_हम अब Vibrate Mode पर हैं..._
_हमारी Battery भी 1 लाइन पे है..._
_छोड़ो ये सब बातें..._
_हम अब Vibrate Mode पर हैं..._
_हमारी Battery भी 1 लाइन पे है..._
_अरे!!! कहाँ चली?_
_*पत्नी*_ :
_चाय बनाने..._
_चाय बनाने..._
_*पति*_ :
_अरे... मैं कहने ही वाला था_
_कि चाय बना दो ना..._
_अरे... मैं कहने ही वाला था_
_कि चाय बना दो ना..._
_*पत्नी*_ :
_पता है..._
_मैं अभी भी कवरेज क्षेत्र में हूँ_
_और मैसेज भी आते हैं..._
_पता है..._
_मैं अभी भी कवरेज क्षेत्र में हूँ_
_और मैसेज भी आते हैं..._
_दोनों हँस पड़े..._
_*पति*_ :
_हाँ, हमारे ज़माने में_
_मोबाइल नहीं थे..._
_हाँ, हमारे ज़माने में_
_मोबाइल नहीं थे..._
😊🙏😊🙏😊🙏
वाक़ई बहुत कुछ छूट गया और बहुत कुछ छूट जायेगा,,, ,,शायद हम अंतिम पीढ़ी है जिसे प्रेम, स्नेह, अपनेपन ,सदाचार और सम्मान का प्रसाद वर्तमान पीढ़ी को बाटना पड़ेगा ।। जरूरी भी है
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