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मेरा दर्द



अदालत के भीतर बाहर पैर तो क्या एक सुई रखने की भी जगह नहीं थी, लोगों की भीड़ थी और लोग इसलिए जमा थे की एक दस साल की नन्ही सी बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या का मामला था, अदालत मे मुजरीम के बचाव मे देश का बड़ा वकील आया था, मुजरीम के मा बाप ने पैसा पानी की तरह बहाया था अपने हैवान बेटे को बचाने के लिए। जज भी आ गये और जज ने केस की कार्रवाई शुरू करने की इजाजत दे दी, मुजरीम का वकील तो उपस्थित था मगर लड़की पक्ष का वकील अभी तक नहीं पहुँचा था, जज ने जब पूछा तो लड़की का बाप खड़ा होके कहता है की... मैं क्या करता वकील करके साहब, मुझे न जीतने मे कोई दिलचस्पी है न हारने का मलाल,
मैं तो उस दिन अपनी जीत पर मुस्कुराया था जब पहली बार मेरे घर बेटी पैदा हुई थी। और बुरी तरह उस दिन हार गया था साहब जब मेरी बेटी को किसी दरिन्दे ने छीन लिया मुझसे😢😢 इसलिए इस केस को मैं खुद लड़ना चाहता हूँ।
जज- अरे ऐसा नहीं होता, आपको एक वकील करना होगा जिसने वकालत की पढ़ाई की हो, ये नियम के खिलाफ है।
बेटी का बाप - ठीक है साहब..आपको जो अच्छा लगे करे क्योंकि आप सबने वकालत पढ़ी है मैं ठहरा अनपढ़ बाप जो ठीक से बेटी का दर्द भी पढ़ न सका, 
जज- वकील साहब आप क्या कहते हैं? 
वकील - येदी बाप खुद लड़ना चाहता है तो इजाजत दे दी जाये वैसे भी अदालत के पास वक्त कम है।
जज की इजाजत के बाद मुजरीम के वकील ने बहुत ही तीखा और वजनदार बातें रखी, हर कोई हैरान था वकील के शातिर दिमाग को देखकर । जीत पक्की थी वकील की । इसका सबूत कटघरे मे खड़ा मुजरीम के चेहरे की हल्की मुस्कान और भीड़ मे बैठे मुजरीम के माता पिता की खुशी साफ बयान कर रही थी,
जज ने लड़की के बाप से कहा की..अब आप अपना सबूत पेश कर सकते हैं 
लड़की के बाप को काला कोर्ट पहनाया गया, न चाहते हुए भी नियम का पालन उन्होंने किया।
लड़की का बाप - मेरे पास तो एक ही गवाह था साहब मगर वह भी ऐन वक्त पर अंधा बन गया, मेरा आसमान का खुदा😢
जज- आप सवाल जवाब कर सकते है।
फिर लड़की का बाप धन्यवाद बोलकर आगे कहता है की मैं सबसे पहले अपने सवाल जवाब के लिए हमारे माननीय बिपक्ष के वकील जी को कटघरे मे बुलाना चाहता हूँ, 
चारों तरफ सन्नाटा फैल जाता है शायद इतिहास मे पहली बार किसी ने बिपक्ष के वकील को कटघरे मे बुलाया हो,जज भी हैरान और वकील तो और हैरान रह जाता है।
वकील - जज साहब ये क्या है, ? मुझे कटघरे मे खड़ा करना कहा का नियम है मगर तभी लड़की का बाप बोलता है...वकील साहब, कटघरे मे खड़े होने से कोई इंसान गुनाहगार साबित नहीं होता, आप सोच रहे होंगे की मुझ जैसे महान इंसान को कटघरे मे क्यों खड़ा किया जा रहा है मगर इस वक्त अगर खुदा भी होता तो मैं उसको भी कटघरे मे खड़ा करके सवाल करता की...तू बेटीयो को बनाता तो बहुत है अनमोल मगर उनकी हिफाजत करना तू कैसे भूल जाता है। 
जज का इशारा पाके बड़े शर्माते हुए वकील कटघरे मे खड़ा हो जाता है की तभी उनके सामने गीता रखी जाती है मगर लड़की का बाप बोलता है की...आज मेरी बेटी के मामले मे पवित्र गीता की जरूरत नहीं है । वैसे भी कशम गीता पर हाथ रखकर खाई जाती है मगर इंसाफ सबूत और दलिलो के आधार पे ही होती है, आज के दिन पवित्र गीता को पवित्र ही रहने दो,
वकील कटघरे मे खड़े होके कहता है की...सवाल तो आपको मुझसे नहीं उस कटघरे पे खड़े इंसान से पूछनी चाहिए थी जो इस केस से मुख्य रूप से जुड़ा है।
लड़की का बाप- आज ए बेबस बाप सिर्फ अच्छे इंसानों से बातें करेगा,हैवानो और जानवरों से नहीं, उसके करिब भी गया तो मुझे मेरी बेटी का वह भयानक दर्द का एहसास होगा जो इस दरिन्दे ने दिया है । फिर लड़की का बाप मुजरीम की मा और बाप की ओर देखकर अपनी धुन मे कहते है की...मैं तो हैरान हूँ तो बस इसलिए की..इंसान कहने वाले लोग न जाने कैसे इस हैवान के साथ रह रहे हैं । कमबख्त घुटन भी महसूस नहीं होती क्या...??
फिर वकील की तरफ घूमकर,
वकील साहब आपकी दलीले और आपके दिमाग के आगे मैं वकील भी करता तो हार जाता, मैं यंहा जीत की हैसियत से नही आया । बस आया हूँ तो इसलिए की बेटी का बाप होने का दर्द क्या सबका अलग अलग होता है?

वकील- हम भी बेटी के बाप है मगर हमारा जो पेशा है वकील का, वह हमें कोर्ट मे आते इस काले कोर्ट को पहनकर बस एक वकील की भूमिका निभानी पड़ती है।

लड़की का बाप कहता है मगर काला कोर्ट तो आज हमने भी पहना है साहब
वकील तो मैं भी बन गया मगर...
फिर मैं क्यों नहीं आपकी तरह एक बाप होने का एहसास नहीं खो रहा हूँ? 
सारे कोर्ट मे सन्नाटा। फिर आगे कहते हैं की..आप आज जीत जाओगे, और घर जाके आप शायद ये भी कह दो की मैं केस जीत गया हूँ और खुशी के मारे आपकी बेटी आपकी गोद मे आके बैठकर आपसे खुशी के साथ पूछे की...पापा आपने किस को हराया तो आप क्या कहोगे? येही कहोगे की मैं एक बेटी के बाप को हराके आया हूँ या ये कहेंगे की...एक तेरी तरह ही मासूम बेटी के बलात्कारी को बचाके आया हूँ 😢😢सारे अदालत मे बैठे लोगों की पलकों मे आशू थे। इतना बड़ा वकील शायद ही कभी झूका हो किसी के आगे मगर इस वक्त एक बेटी के बाप के सवालों के आगे सर उठा न सके। 
लड़की के बाप की पलकों से आशू रूक नहीं रहे थे..फिर आगे कहते है की इस केस के जीते हुये पैसों से अपनी बेटी के लिए कुछ मत खरीदना साहब, क्योंकि कल येदी उसको मालूम हुआ की एक बेटी के बाप को हराकर एक बेटी के बाप ने अपनी बेटी के लिए खुशीयां खरीदी है तो...सच कहूँ साहब..आपकी बेटी एक बाप को कभी मांफ नहीं करेगी और मैं कभी नहीं चाहता की एक बाप हार जाये जैसे मैं हार गया, 
दर्द बहुत गहरी देती है जो शब्दों मे बयान करना मुश्किल है । वकील कटघरे मे ही बैठकर फूटफूटकर रोने लगते हैं । जज भी अपनी रूमाल से अपने चेहरे को पोछ रहे थे, हाँ वह भी रो रहे थे हर कोई एक दुखी बाप के शब्दों मे खुद को आशूओं मे डूबा रहे थे, वकील बड़ी मुश्किल से उठकर अपनी सीट तक जाता है और इधर लड़की का बाप जज से लड़के की माँ और बाप को कटघरे मे बुलाया जाता है।
लड़की का बाप अपने दोनों हाथ जोड़कर उन्हें कहता है की माफी चाहता हूँ की हमने आपको यंहा खड़ा करवाया। आगे कहते हैं की, आप दोनों भी मां बाप, और मैं और वह भीड़ मे गुमसुम सी बैठी औरत मेरी धर्मपत्नी वह भी मां बाप,
फर्क सिर्फ इतना है की आप मुजरीम दरिन्दे की, और हम एक फूल सी बच्ची की जिसे आपके बेटे ने मार दिया। आज हार जीत एक मा बाप के बिच उल्झी है।
कहते है की उपर आसमान मे एक खुदा है और निचे धरती पर एक खुदा मां होती है । उपर वाला तो साफ मुकर गया मेरे हक में । और निचे वाला खुदा खड़ी हो गई है एक दरिन्दे के हक मे , हारना तो तय है मेरी और मेरे बेटी की मगर , शायद मैं हारकर भी जीत जाउं दुनिया की नजर में । पर आप दोनों खुद से ही हार जायेगें । और जब इंसान खुद से हार जाता है तो दुनिया मे सबसे अकेला होता है। हर मां बाप अपने बच्चों को कामयाब होते देखना चाहता है। और आप दोनों का बेटा और कामयाब हो जाये दुआ करूँगा। मुझे आपके दरिन्दे बेटे से कोई शिकायत नहीं मगर अफसोस इस बात का सदा रहेगा की एक बाप के खिलाफ एक बाप खड़ा था, फर्क सिर्फ इतना था की...एक ने अपनी बेटी खोया था और दूसरा उसका जिम्मेदार था। जाईये मैं अपनी हार मानता हूँ। मगर आखरी बात ये कहूँगा की आज आपके जीत के जश्न मे शायद ही कोई माँ बाप फिर से लड़की पैदा करना की हिम्मत करे😢😢😢😢😢
वरना बेटीयां तो पैदा होती रहेगी, छेडखानी बलात्कार हत्या होती रहेगी और आप जैसे मा बाप अपने दरिन्दे बेटे की जीत पर जश्न मनाते रहेंगे ।
फिर जज की और मुड़कर कहता है। जज साहब आप बेझीझक फैसला सुना सकते हैं । 
मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं बस एक शिकायत है तो उस खुदा से कि वह बेटीयो को धरती पे भेजके अंधा क्यों हो जाता है। पूछूंगा खुदा से की तू एक दरिन्दे को एक मां की कोख से पैदा करके तू मा को बदनाम क्यों करता है। और कहूँगा की आज के बाद फिर कभी कीसी बेटी को धरती पे मत पैदा करना, येदी बेटीयो को पैदा करना है तो इस जैसे दरिन्दे को कभी पैदा मत करना वरना एक बेटी का बाप सबकुछ खोकर भी मेरी तरह दर्द से तडपता रहेगा।
फिर सबको हाँथ जोड़कर अपनी धर्मपत्नी के साथ कोर्ट से निकल जाता है। सारे उपस्थित लोग वकील बिपक्ष का वकील यंहा तक जज भी खड़े होकर नम आखो से उन्हें जाते देखते रहते है की तभी लड़के की माँ कटघरे से निकलकर लड़के के पास जाके उसके चेहरे पर थूक कर कहती है की...आज मैं येदी तूझ जैसे दरिन्दे के हक मे खड़ी हो गयी तो माँ शब्द बदनाम हो जायेगा, 
बाप भी सामने आके कहता है की...अदालत तुम्हें क्या सजा देती है पता नहीं मगर जिस दिन तूने मेरे घर की दहलीज पर कदम रखा, उस दिन हम दोनों मे से कोई एक जिंदा रहेगा। या तो एक दरिन्दा या एक अच्छा इंसान ।
सब लोग ताली बजाते है और उन तालीयो मे सबसे तेज ताली की आवाज वकील की थी। पलके नम और होठो पर मुस्कुराहट। 
शायद वह अपनी बेटी को जवाब देने को तैयार थे की...मैं आज एक बेटी के बाप से हार गया।











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