💞चिठ्ठी...प्रधानमंत्री के नाम 💞
💕भारतीय नारीयों को समर्पित 💕
टीचर - चलो बच्चों आज तुम सभी को जल्दी छुट्टी दी जा रही है।
कल हमारे शहर और गाँव के लोगों के लिए बहुत बड़ा दिन है, क्योंकि कल हमारे इसी स्कूल मैदान पर हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी आ रहे हैं। हमने उन्हें आज तक सिर्फ फोटो टीवी और अखबार मे देखा है मगर कल हम उनसे आमने सामने रूबरू होंगे उनसे हांथ मिला पायेगे उनसे बात कर सकेंगे।
इसलिए आज घर जाके अपने अपने यूनीफर्म ठीक से अच्छी तरह साफ कर लेना, और ठीक से नहा धो लेना, और कोई खाली हांथ मत आना, सबके हाथों मे फूल होना चाहिए ताकी हम उनका स्वागत खुशबूओ से कर सके।
इतना सुनते ही सारे बच्चे खुशी से चिल्लाते हुए अपनी अपनी जगह से उठकर चिल्लाते हुये निकलते हैं मगर एक कोने पे बैठी नयना न शोर मचाती है न खुश होती है बस आस्ते से अपनी जगह से उठकर क्लासरूम से निकलती है कि तभी पिछे से टीचर आवाज देते हैं
नयना?
नयना बिना मुडे आवाज सुनकर रूक सी जाती है ।
फिर टीचर पास आके नयना के सर पर हांथ रखकर कहते हैं
बेटी??
क्या हुआ? सभी बच्चे खुश है मगर तुम्हारे चेहरे पर खुशी का नामों निसान नहीं है ऐसा क्यों बेटी?
लगभग दस साल उम्र की नयना फिकी मुस्कुराहट के साथ कहती है
ऐसी कोई बात नहीं है मास्टर जी।
टीचर - बिलकुल झूठ ।
क्लास रूम मे सबसे ज्यादा हल्ला मचाने वाली हर बात पे ठहाके लगाने वाली गुड़िया आज उदास जरूर है। बताओ बेटी क्या बात है?
नयना - कल जब प्रधानमंत्री आयेंगे तो क्या हमें उनसे बात करने का मौका मिलेगा सर?
टीचर - क्यों नहीं बेटा? जरूर मिलेगा मगर वह हमारे देश के प्रधानमंत्री है और तो और उन्हें खुद के लिए भी समय नहीं मिलता
इसलिए हम उन्हें धन्यवाद देके हांथ जरूर मिला सकते है।
वैसे क्या बात करनी है प्रधानमंत्री जी से। वैसे भी वह जब से देश के प्रधानमंत्री बने है अच्छा ही तो काम कर रहे हैं ए तो बिरोधी लोगों का काम है जो देश की उन्नति नहीं देख सकते इसलिये हर बार Twitter हो या वाटसप या फेसबुक। जहाँ भी उनकी बुराई ही करते रहते हैं ।
वैसे नयना बेटी .. तुम्हें प्रधानमंत्री जी से बात क्या करनी है बोलो तो,?
क्या पता मैं ही पहुँचा दू तुम्हारी खबर प्रधानमंत्री तक?
नयना - आपने सभी खुबीया तो गीना दी हमारे पूज्य प्रधानमंत्री जी की। अब उनमें कमी कहा रह गयी है सर।
टीचर - शाबाश बेटी । अच्छा चलो कल जल्दी स्कूल आना पूरा यूनीफर्म पहन के और हाथों मे फूल लेके आना, और सुनो मेरे लिये भी लेती आना फूल । वैसे कल पैर रखने की जगह नहीं होगी मगर अच्छी बात है कि हमारे स्कूल के मैदान मे वह आ रहे है इसलिये हमें और हमारे स्कूल के बच्चों को शायद उतनी तकलीफ न हो।
नयना स्कूल से निकल पड़ती है जब वह बाहर आके मैदान मे देखती है तो जोर शोर से मंच बनाया जा रहा था पुलिस प्रशासन और जो चोर और बम पकड़ने मे माहिर ट्रेन्ड कुत्ते होते है वह भी चारों तरफ से मैदानों का मुवायना कर रहे थे।
नयना बहुत कुछ सोचते सोचते घर पहुँच जाती है।
रातभर सो न सकी क्योंकि वह कुछ लिख रही थी रातभर एक कागज पे शायद कोई कविता हो प्रधानमंत्री जी के लिए।
सुबह उठकर वह बगीचे से कुछ गुलाब के फूल तोड़ती है।
और फिर कुछ देर बाद निकल पड़ती है स्कूल के लिए हाथों मे फूलों का गुच्छा लेके।
रास्ते मे ही उसे Prince मिलता है।
Prince - ए पागल नैना?
नैना - क्या है पागल?
Prince - आज तो तुझे बड़ा खुश होना चाहिए कि तेरे स्कूल मे प्रधानमंत्री जी आ रहे हैं और तू है की अपने फटे पुराने कपड़ों मे किधर को चली हाँ?
नैना - प्रधानमंत्री जी आ रहें मेरा दुल्हा नहीं जो मुझे लेने आ रहा हैं
Prince - अरे इतना भड़कती क्यों है पागल?
नैना - मैं भड़क नहीं रही हूँ तेरे घटिया सवालों का जवाब दे रही थी
Prince - साईज है बित्ते भर की और बातें देखो?
बिन्दू और अरूणा ईरानी को भी फेल करा दे।
नैना - मेरी साईज मेरी उम्र के हिसाब से सही है मगर तू अपनी उम्र और साईज देख
बच्चों से कैसे बोलते है पहले जाके सीख, और तेरी आंटीयो की तुलना खुद से कर मुझसे नहीं इतना कहके नैना चलती है तो Prince उसको टोक के कहता है। रूक? फिर पास जाके सर पे हाथ फेरते हुये कहता है कि तू मुझे जानती है और तेरे साथ मेरा ए रोज का नाटक है मगर आज तू अलग नैना है । बता पागल क्या हुआ, ?
नैना - कुछ नहीं रे पागल, मुझे मांफ कर दे आज मै ज्यादा बोल गई मगर आज मै इस हालत मे नहीं हूँ कि प्रधानमंत्री जी के आलावा किसी से ठीक से बात कर सकूँ । वरना तेरे जैसा दोस्त कहाँ मिलता है बार बार जिसे हर उम्र के लोग पसंद करे। बस दुआ कर की मेरी मुलाकात प्रधानमंत्री जी से हो जाये इतना कहके नैना आगे बढ़ जाती है और प्रिंस खुद से ही कहता है कि इस छोटी सी उम्र मे गम्भीर होना ये दर्शाता है कि इसके दिल मे आज जो सवाल है प्रधानमंत्री तो क्या शायद खुदा को भी मुश्किल हो जवाब देना😐
मन ही मन best of luck नैना कहके Prince एक ओर निकल जाता है ।
उधर नैना स्कूल पहुँचती है मगर भीड़ देखकर दंग रह जाती है जबकि प्रधानमंत्री जी अभी भी नहीं पहुँचे थे। स्कूल के सारे बच्चे सभी साफ यूनीफर्म मे आये थे सबके चेहरों पर खुशी थी। तभी टीचर जी की नजर नैना पे पड़ती है जो बिना यूनीफर्म के एक घर के पुराने कपड़े मे आई थी।
टीचर आते ही चिल्लाते है नैना पर जो बिना यूनीफर्म के आई थी, मगर नैना कहती है कि बरसात का मौसम है इसलिए कपड़े सुखे नहीं और घर मे पंखा भी नहीं है। इसलिए बहुत सोचने के बाद येही घर के कपड़े ही पहन के आ गयी।
टीचर - ठीक है मगर तुम प्रधानमंत्री जी से इस वस्त्र मे हाथ मिला नहीं सकती।
नैना - क्यों मास्टर जी😢
टीचर - तुम इन सभी बच्चों को देखो और खुद की हालत देखो, कैसे तुमसे हाथ मिला सकते है ।
नैना - मगर मां तो कहती है कि प्रधानमंत्री न bjp का होता है न कांग्रेस का न किसी पार्टी का, वह तो देश के प्रधानमंत्री होते है और सारे देशवाशी उनके लिए बराबर है जैसे एक मां कि नजर मे साफ बच्चा हो या गंदा बच्चा 😢😢
टीचर कुछ कहते पूरा नारा गूँजता है प्रधानमंत्री के नाम पे क्योंक प्रधानमंत्री आ चुके थे और नारो के साथ उन्हें मंच तक पहुँचाया जाता है।
स्कूल के बच्चों की होड़ लगी होती है प्रधानमंत्री जी को फूल भेंट करके हांथ मिलाने की। उसी भीड़ मे नैना भी घुस जाती है प्रधानमंत्री को फूल देने ।
टीचर जी सभी बच्चों को प्रधानमंत्री जी तक पहुँचाने का काम करते है मगर तभी उनकी नजर नैना के हाथो मे चली जाती है जंहा फूलों के साथ साथ एक लिपटा कागज दिखाई देता है। नैना आगे बढ़ रही है धक्का मुक्की खाते हुए प्रधानमंत्री जी से मिलने और इधर मास्टर जी के माथे पर बल पड़ जाता है कि आखीर नैना के हाथो मे वह कागज कैसा है। कहीं स्कूल की शिकायत तो नहीं लिखी है। कहीं हम टीचरों की शिकायत तो नहीं लिखी है नैना ने? वैसे भी सरकारी स्कूलों की शिकायत हर दिन अखबार से लेके फेसबुक तक आती रहती है। पढ़ाई मे घोटाला
मिड डे मिल मे घोटाला
स्कूल निर्माण मे घोटाला
ऐसे कितने सारे राज छुपे है जो प्रधानमंत्री जी को मालूम नहीं । हाँ रजिस्ट्रार मे सरकारी स्कूल पब्लिक स्कूल को मात जरूर देती है। अब टीचर फैसला करते है कि कीसी भी हालत मे अब वह नैना को प्रधानमंत्री जी तक न पहुँचने कसम लेते है खुद से। मगर वह मासूम नैना बेफिक्र सभी की धक्का मुक्की खाती हुई प्रधानमंत्री जी कि करिब जैसे ही पहुँचने को होती है पिछे से टीचर उसे खींचकर अपने पास लाके कहते कि,
अरे नैना बेटी तू पागल हो गयी है क्या? तूझे होश नहीं?
देख तो कितना मार खा चुकी है भीड़ में?
अभी रूक कुछ फ्रि होने दे प्रधानमंत्री जी को मैं खुद तुम्हें साथ लेके उनके पास ले जाउंगा। बेचारी नैना, भोली सी लड़की अपने ही गुरू की चाल को समझ न सकी और मुस्कुराके भरोसा कर बैठी और उल्टे थैंक्स मास्टर जी तक कह दिया।
मास्टर जी ने नैना से फूल और वह चिठ्ठी दोनों ले ली
नैना के चेहरे पर थकान तो था मगर आखो मे खुशी की चमक थी कि उसके गुरू ने चिठ्ठी पहुँचाने का बिड़ा जो उठाया था, क्योंकि बच्चों के लिए माँ बाप के बाद गुरू ही होता है जंहा बच्चे भरोसा करते हैं ।
लोगों की भीड़ कम नहीं हो रही थी मगर अब प्रधानमंत्री निकलने वाले थे कि तभी नैना चिल्लाकर बोलती है
मास्टर जी प्रधानमंत्री जी शायद जा रहे हैं ।
मास्टर जी भी ठीक है बोलके जल्दी से भीड़ मे घुस जाते है फिर कुछ देर बाद लाल पिले होके निकलकर नैना से हांफते हुये कहते हैं कि।
तुम्हारी किस्मत बहुत अच्छी थी बेटी
मैंने उनके हाथों मे चिठ्ठी और फूल देके कहा कि ये मेरी स्कूल की दस साल उम्र की लड़की नैना ने आपके लिए दिया है।
वह खुश होके बोले कि जल्दी था इसलिए उससे बोलना हमें माफ कर दे मगर अगली बार आया तो उस नैना बेटी से जरूर मिलूंगा जीसने मुझे इतना सम्मान और प्यार दिया है
इतना सुनते ही नैना अपने टीचर से लिपट जाती है खुशी से मगर पलकों मे खुशी के आशू लेकर
और फिर दोनों हाथ जोड़कर अपने टीचर से कहती है कि
गुरु का मतलब खुदा की तरह होता है जो हमें जिंदगी का सही मार्ग दिखाती है । आपने आज दिखा दिया की क्यों लोग गुरूओ की पुजा करते हैं ।
टीचर कुछ जवाब दे नहीं पाता,
बस इतना कहते है चलो बेटी अब चिठ्ठी का इंतजार करना शायद बहुत जल्दी जवाब तुम्हें मिल जाये।
अब जाओ कल आना स्कूल फिर ढेरों बातें करेंगे ।
इतना कहके टीचर जल्दी से अफीस रूम चले जाते हैं ।
भीड़ खत्म हो चुकी थी। जमीन पे कागज बैनर बहुत कुछ बिखरा पड़ा था मगर नैना चलते चलते एक जगह जाके ठहर जाती है और झूककर वह कुछ फूलों को उठाती है जो जमीन पे बिखर कर पैरों से रौंदे गये थे।
वह अपने फूल पहचान जाती है जो उसने खुद के बगीचे से तोड़कर लाये थे।
सारे फूलों को वह चुनती है मगर इस वक्त उसकी पलकों से मोतिया पानी बनकर उसके हथेली और फूलों पर गीर रहे थे जो फूल पैरों से रौंदेने के वावजूद उसने उठाये थे।
वह सोचती है । क्या मास्टर जी ने फूल प्रधानमंत्री को नहीं दिये?
न दिये तो फिर उन्होंने क्यों कहा की हमने फूल और चिठ्ठी दोनों दे दिये।
मास्टर जी झूठ बोले ऐसा कभी होगा नहीं क्योंकि हर गुरू अपने शिष्यों को सिर्फ सच बोलना सिखाता है।
फिर ए सोचकर खुद के मन को तशल्ली देती है कि शायद प्रधानमंत्री जी ने किसी को रखने दिये होंगे जो धक्का मुक्की मे गीर गये होंगे और बैठे बैठे पिछे मुड़कर टीचर को देखती है जो कबके अफीस रूम जाके खिड़की के कोने से नैना की हर हरकत को देख रहे थे। पलके तो इस वक्त उनकी भी गीली थी क्योंकि उन्होंने अपनी शिष्या को धोखा दिया था जीसने उनपर आख मूदकर भरोसा किया है। मगर क्या करे एक डर छुपा था दिमाग मे की कहीं वह चिठ्ठी मेरे स्कूल और टीचरों की काली पोल न खोल दे
नैना जमीन पर बिखरे फूलों को उठाकर घर की तरफ निकल चुकी थी, इधर नैना का टीचर जिनपर नैना ने ईश्वर की तरह भरोसा करके फूलों का गुच्छा और चिठ्ठी थमा दी थी जो प्रधानमंत्री जी को देने के लिए। मगर उस गुरू ने अपने मनगढंत डर की खातिर ए सोचकर चिठ्ठी प्रधानमंत्री जी को नहीं दी थी कि कहीं नैना ने स्कूल के खिलाफ शिकायत न कि हो।
वह नैना की नजरों के सामने ही भीड़ मे घुसे तो थे प्रधानमंत्री जी से मिलने मगर बस भीड़ तक जाके चुपचाप चिठ्ठी अपनी जेब मे छुफाकर अपने हाथों के सारे फूलों को वह जमीन मे फेंक देते है जंहा भीड़ उन बेसहारा फूलों को अपने पैरों से रौद देती है।
आखिर उन फूलों की रक्षा भी कौन करता, क्योंकि सम्भालने वाले ने फेंक दिया था भीड़ मे दम तोड़ने के लिए । इधर हांफते हुए नैना के पास आके झूठ बोल देते है कि उन्होंने प्रधानमंत्री जी तक संदेश पहुँचा दिया है और एक पागल मासूम शिष्य अपने गुरू के झूठ को भी सच मान लेती है
आखिर गुरु थे उनके क्योंकि गुरु हमेशा अपने शिष्यों के मार्गदर्शक होते हैं ।
गुरु ने खिड़की से छुपकर अपने नन्ही सी शिष्य को देख लिया था खुद के ही लाये फूलों को जमीन से बटोरते हुए जो भीड़ से रौदी गयी थी। जीसने बड़ी शिद्दत से अपने देश के प्रधानमंत्री को भेंट स्वरूप लेके आई थी।
दुख तो बहुत हुआ था गुरु को भी मगर एक अनदेखे डर ने उन्होंने अपने शिष्य पर भरोसा ही नहीं किया जिस शिष्य ने उनपर मुस्कुराके भरोसा किया था।
फिर वह नैना का वह खत पढ़ने लगे जो कागज पर आड़े तिरछे तरिके से लिखा गया था। चिठ्ठी मे कयी शब्दों को पहचानना मुश्किल था क्योंकि कयी जगह कलम की स्याही के उपर पलकों के मोतीयो ने शब्दों मे गिरकर शब्दों को फैला से दिये थे।
चिठ्ठी क्या कहें वह तो पूरा एक पैगाम था एक बेटी के दर्द का जो वह अपने देश के प्रधानमंत्री के नाम लिखी थी।
लिखा था..
माननीय मेरे देश के अच्छे प्रधानमंत्री जी
आपको मेरा सत सत प्रणाम।
ए हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि आप हमारे स्कूल मे आये हमारे छोटे से गाँव मे आये।
आप हमारे देश के प्रधानमंत्री जी हैं
सीधे शब्दों मे कहे तो आप हमारे देश की उम्मीद एक साहस एक सुरक्षा एक जीत हो। हमारे लिए ए गौरव की बात है कि आप हमारे देश मे ही नहीं पूरे विश्व मे अपने अच्छे कामों की वजह से चर्चित हैं । बेहद अच्छा लगता है जब आपकी तारिफे बिदेशी लोग करते हैं । ऐसा लगता है कि वह हमारी तारीफे कर रहे हैं। आपने जब सत्ता मे आके पुराने नोटों को बंद किया तो सारा देश एक बार सकते मे आ गया था मगर आपने अपने देश वासीयो के लिए जल्द ही नये नोट देके खुशीया दे दी मगर आपने काले धन वालों को सबक सीखाके ए प्रमाणित कर दिया कि अब देश मे काले धन वालों की अब खैर नहीं। आपने वादा किया कि काले धन को वापस देश मे लाया जाऐगा क्योंकि वह देशवासियों का पैसा है वह देश वासीयो के खाते मे ही जायेगा।
मगर हम बेटीयां की तो कोई वसीएत नहीं होती और न ही हम हक से अपने घरवालो से बेटों की तरह अपना हिस्सा माँग सकते हैं क्योंकि हमारी वसीएत ही हमारे माँ बाप होते है उनका प्यार और अपनापन ही हमारे लिए सबकुछ होता है। ऐसे ही हम देश की बेटीयो के लिए आप ही सबकुछ हो। हमें उन काले धन मे से कुछ नहीं चाहिए प्रधानमंत्री जी।
बस हम बेटीयो को काले मन वालों से बचाया जाये😢😢
पैसा को लक्ष्मी कहते हैं और पैसा जो देश का पैसा चुराते है वह कालेधन वाले कहलाते हैं। उनके खिलाफ आपने मुहीम तो छेड़ दी जो बेहद अच्छी बात है
अब हो सके तो कालेमन वालों के खिलाफ भी ऐसी ही एक मुहीम चला दीजिए ताकि हम बेटीयां जो लक्ष्मी कहलाती हैं काले मन वालों से बच सके।
आपने अच्छे दिन आयेंगे कहा और लोगों ने महसूस भी किया अच्छे दिनों का। मगर जिस देश मे बेटीयां कोख से लेके सडक तक और सड़क से लेके कोठो तक और कोठो से लेकर दहेज तक
जब तक बेटीयां सुरक्षित नहीं है फिर कैसा अच्छा दिन और कौन सा अच्छा दिन। लोगों को पेट्रोल के दाम बढ़ने पर हरताल करने की आदत है।
आरक्षण के लिए देश की संम्पति नष्ट करने का जूनून है।
मगर मैं नहीं जानती कि हमारे देश मे नारी सुरक्षा के लिए कब लोग हरताल करेंग कब लोग सड़कों पर उतरेगें,
आप आलू दो रूपया चावल पांच रूपया या पेट्रोल दस रूपया भी क्यों न कर दे मगर हम देश कि बेटीयो के लिए तो अच्छे दिन तभी आयेंगे जब देश की बेटीयां बिना कीसी डर के भयमुक्त जिंदगी अपने देश मे जी सके😢😢
आप रेडियो मे मन की बात कहते है। लोग कामकाज छोड़कर सुनते हैं मगर मैंने आपके मन की बात मे बेटीयो की सुरक्षा की बात नहीं कही
इसलिए मै इस देश की बेटी आपको इस चिठ्ठी के जरिए देश की बेटियों की मन की बात आपसे कह रहे हैं।
आपके मन की बात हम सुनते हैं
इस बार आपकी बारी है देश की बेटियों की मन की बात सुनने की😢।
लोग कहते कहते है कि प्रधानमंत्री जी भी single और मुख्यमंत्री भी single
बिना औरत के कहा वह औरत का दर्द समझ सकते है।
मगर औरत का दर्द समझने के लिए जरूरी नहीं है कि औरत साथ मे हो।
एक औरत का दर्द समझने के लिए औरत प्रति इज्जत और सम्मान काफी है
और ये सारी बातें आप मे कूटकूट के भरी है।
एक नरेन्द्र मोदी जी या एक योगी जी नहीं
हमारे देश की भलाई और उन्नति के लिए हर घर मे नरेन्द्र मोदी जी और योगी जी चाहीये
क्योंकि आपको भी एक नारी ने ही जन्म दिया है
कल भी पैदा करेगी नारीया आप जैसे अच्छे लोग मगर पहले जरूरी है नारीयो को काले मन वालों से बचाना।
पूरा विश्व मे शायद हमारा ही देश होगा जिसे माँ का दर्जा दिया जाता है और अफसोस कि इसी माँ के देश में बेटीयां सुरक्षित नहीं है जो कल मां बनके नरेन्द्र मोदी जी योगी जी
अब्दुल कलाम जी, अम्बेडरकर जी
सुभाषचंद्र बोस जी
भगत सिंह जी, नेहरू जी ऐसे न जाने कितने देश भक्त पैदा होंगे इस देश मे गर मेरे देश मे हम बेटीयां महफूज रही तो।
कितने दुख की बात है की जब असीफा के साथ हो या संस्कृति के साथ हो चाहे एस्तर के साथ प्रित के साथ बलात्कार हो,
लोग हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई का खेल खेलते है
इसका मतलब ए है कि देश आज भी बटा है एक जुट नहीं है। और जहाँ एकजुटता नहीं उस देश मे कोई कैसे कह सकता है कि अच्छे दिन आ गये हैं ।
चाहे रास्ते मे बलविंदर सिंह दिखाई दे गुरुद्वारा को जाते हुये
चाहे मार्क दिखाई दे चर्च जाते हुए
चाहे राकेश कुशवाह मंदिर जाते दिखाई दे
या चाहे अनवर मस्जिद जाते दिखाई दे मगर
सबका दिल जब हिन्दुस्तानी होगा तब गर्व से हम कह सकते हैं कि देखो अच्छे दिन आ गये।
जब ऐसा होगा तो हर बलात्कारी देश से निकाला जायेगा या तो उसे फाँसी दे दी जायेगी क्योंकि सच्चे देश भक्त हिन्दुस्तानीयो के खून मे बहादूरी और प्रेम का लहू दौडता है। रही मजहब की बात तो कोई भी मजहब
चाहे बाईबल हो चाहे गीता हो चाहे कुरान हो चाहे गुरूग्रंथ हो। कोई भी पवित्र ग्रंथ या मजहब बलात्कार की इजाजत या बलात्कारी को बचाने की कभी इजाजत नहीं देती ।
मुझे नहीं पता कि मेरी ए चिठ्ठी सही है या गलत मगर मुझे बस इतना पता है कि जब मेरी मां मुझे स्कूल भेजती है तो
मेरे न लौटने तक ईश्वर की तशबीर के आगे मेरे न आने तक भूखी प्यासी मेरी सलामती की दुआ माँगती रहती है।
मुझे तो सिर्फ मेरी माँ के बारे मे पता है
नजाने देश कि कितनी मां अपनी बेटी के इंतजार मे मेरे माँ जैसी ही करती होगी।
कमबख्त कुछ हवस के दरिन्दो की वजह से देश की मां भी अपनी बेटी की फिक्र मे कमजोर होती जा रही है
और जहाँ माँ कमजोर हो जाये
उस घर को बिखरने से ईश्वर भी बचा नहीं सकता ।
मेरे भारत माँ के देश में अगर उनकी बेटीयां भी सुरक्षित नहीं है तो
जरूर हमारे देश मे इंसानी भेष मे जंगली जानवर या कोई घुशपैठी हमारे देश मे घुस आया है
क्योंकि भारत माँ के बेटे भारत माँ के ही बेटीयो से कैसे गलत कर सकते हैं ।
आखिर रिश्ते मे भाई बहन तो होते है न?😢😢😢
मुझे अपने चिठ्ठी का जवाब नहीं चाहिए प्रधानमंत्री जी।
क्योंकि आपके पास खुद के लिए भी वक्त नहीं मिलता
क्योंकि देश की फिक्र जो रहती है आपको
हाँ जिस दिन बेटीयां पैदा होने से
बड़ी होने से...सडको पर घुमने से
दहेज के लिए...
नहीं डरेगी, समझ लूंगी कि आपने एक देश की बेटी के चिठ्ठी का जवाब दे दिया है😢😢😢😢
आपकी बेटी बहन Nayna😢😢😢
खत पढ़ते पढ़ते नजाने कितनी बार रोये मास्टर जी
उन्हें पशतावा हुआ। खामीया तो बहुत थी सरकारी स्कूल मे मगर नैना के लिए वह मुद्दा बड़ी नहीं थी।
बड़ी मुद्दा तो बेटीयो के लिए थी जो आजकल हवस के दरिन्दो की वजह से सहमी और डरी सी रहती है।
उन्होंने तुरंत फैसला किया कि किसी भी हालत मे हो इस चिठ्ठी को वह प्रधानमंत्री तक पहुँचा के रहेंगे ।
फिर ईश्वर की तशबीर के आगे अपने गलती कि माफी माँगकर वह जल्दी से शहर जाके एजेन्ड से अगले दिन की फ्लाईट की टीकट दिल्ली की काटकर आये। कमबख्त लालची था कल तक
दस किलोमीटर दूर था घर से स्कूल
फिर भी साईकिल मे आते थे। खाना भी मिड डे का खाते थे । जेब से दो रूपया भी गीरा तो दो घन्टे लगाकर ढूँढते थे मगर आज वह आठ हजार का टिकट काट आये तो सिर्फ अपनी उस शिष्य की चिठ्ठी के लिए जिसने पूरे भरोसे के साथ प्रधानमंत्री को देने के लिए दिया था।
कमबख्त लालची टीचर आज पहली बार आठ हजार खर्चा करके भी खुश था मुस्कुरा रहा था। शायद रूह को शकून देना चाहता था शायद गुरूकुल की मर्यादा को सुरक्षित रखना चाहता था
शायद गुरू शिष्य के रिश्तों पर दाग लगाना नही चाहता था😢😢
अगले दिन स्कूल मे नैना से मिलके उसके माथे को चूमकर कहते हैं कि
बेटी नैना आज मै शाम को दिल्ली जा रहा हूँ
कुछ दिनों बाद लौटूंगा। मगर नैना को सच नहीं बताते मगर जो गलत हुआ उसे सही करना चाहते थे।
आगे कहते हैं कि जरूरी काम है
क्योंकि मुझे भी अपनी बेटी कि फिक्र है
नैना मुस्कुराके कहती है कि
मास्टर जी आपकी तो अभी शादी नहीं हुई फिर बेटी कैसी हुई 😂😂😂
मास्टर जी अपने आंशू रोक न सके उस मासूम कि बातों से
और भरे गले से बोले कि..तू है तो मेरी प्यारी बेटी 😢😢😢?
कल शादी करके बेटी भी हुई तो इसका सारा श्रेय सबसे पहले तुम्हें ही जायेगा
जिसने पूरे देश की बेटियों की फिक्र की है😢😢😢
इतना कहके टीचर नैना के दोनों पलकों को चूमकर सभी स्टाफ और बच्चों से हाथ हिलाते हुये बिदा होते है
भले पलकों मे इस वक्त पानी था मगर दिल मे एक जिद और खुद से प्रतिज्ञा लेके निकले थे चिठ्ठी देने प्रधानमंत्री जी को दिल्ली मे।
वह चिठ्ठी भले एक बेटी ने लिखी थी मगर वहाँ पूरे देश की बेटियों के सपने लिखे थे जिंदगी लिखी थी।
क्योंकि बेटीयां नहीं तो माँ कौन बनेंगी
माँ नहीं तो फिर इंसान कहा पैदा होंगे
और इंसान बिना की धरती? ???
ए सोचकर ही कांप से गये थे टीचर जी😢😢😢
नैना को बस इतना पता था कि गुरु जी दिल्ली जा रहे है मगर क्यों किसलिये पता नहीं ।
बस
इधर नैना हाथ हिला रही थी
होठो पे मुस्कुराहट
पलकों पे नमी
मगर एक जीत की
एक नयी सुबह की....थी ।
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