बच्चा पैदा करने के लिए क्या आवश्यक है
पुरुष_का_स्पर्म.... और #औरत_का_गर्भ !!!
लेकिन रुकिए .... .सिर्फ गर्भ!!!!
नहीं... नहीं.....
एक ऐसा शरीर जो इस क्रिया के लिए तैयार हो .....जबकि स्पर्म के लिए 13 साल का स्पर्म और 70 साल का स्पर्म भी चलेगा।
लेकिन ....गर्भाशय मजबूत होना चाहिए.... इसलिए सेहत भी अच्छी होनी चाहिए ...एक ऐसी स्त्री का गर्भाशय जिसको बाकायदा हर महीने समयानुसार माहवारी आती हो.. .. जी हां वही माहवारी जिसको सभी स्त्रियां हर महीने बर्दाश्त करती हैं . ...क्योंकि महावारी उनका चॉइस नहीं है ....यह कुदरत के द्वारा दिया गया एक नियम है। वही महावारी जिसमें शरीर पूरा अकड़ जाता है . कमर लगता है टूट गई ....पैरों की पिंडलियां फटने लगती हैं ....लगता है पेड़ू में किसी ने पत्थर ठूंस दिए हों.... दर्द की हिलोरें सिहरन पैदा करती हैं ....ऊपर से इसको छुपा छुपा के रखना अपने आप में किसी जंग से कम नहीं....
बच्चे को जन्म देते समय असहनीय दर्द को बर्दाश्त करने के लिए मानसिक रूप से और शारीरिक रूप से तैयार हों ( 40 हड्डियां एक साथ टूटेंगे जैसा दर्द सहन करने की क्षमता से परिपूर्ण हों)
गर्भधारण करने के बाद शुरू के 3 से 4 महीने जबरदस्त शारीरिक और हार्मोनल बदलाव के चलते उल्टियां ..थकान. .. अवसाद.. के लिए मानसिक रूप से तैयार हों... 5वें से 9वें महीने तक अपने बढ़े हुए पेट और शरीर के साथ सभी काम यथावत करने की शक्ति हो
गर्भधारण के बाद कुछ विशेष परिस्थितियों में तरह तरह के हर दूसरे तीसरे दिन इंजेक्शन ठुकवानें की हिम्मत रखती हों (जो कभी एक इंजेक्शन लगने पर भी घर को अपने सिर पर उठा लेती रही हो )
प्रसव पीड़ा को दो-चार 6 घंटे के अलावा 2 दिन 3 दिन तक बर्दाश्त कर सके और अगर फिर भी बच्चे का आगमन ना हो तो गर्भ को चीरकर बच्चे को बाहर निकलवाने की हिम्मत रखती हो....
अपने खूबसूरत शरीर में स्ट्रेच मार्क्स और ऑपरेशन का निशान ताउम्र अपने साथ ढोने को तैयार हों
कभी कभी प्रसव के बाद दूध कम उतरने या ना उतरने की दशा में तरह-तरह के काढ़े और दवाई पीने का साहस रखती हो
जो अपनी नींद को दांव पर लगाकर दिन और रात में कोई फर्क ना करती हो
जो उसकी सुसु और पाटी की नैपियां धुलने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो
3 साल तक सिर्फ बच्चे के लिए ही जीने की शर्त पर गर्भधारण के लिए राजी होती औरत के जिगर की तुलना तुम अपने व्यर्थ में बहा देने वाले स्पर्म से क्या करोगे!!!!!
स्पर्म तो बाजार में भी उपलब्ध है और इंजेक्शन के द्वारा गर्भ में धारण कराया जा सकता है लेकिन एक गर्भ में आने के बाद एक स्त्री की यही मनोदशा होती है जिसे एक पुरुष शायद ही कभी समझ पाए ।
(कुछ अपवादों को छोड़कर )
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