💖 समर्पण 💖
अनपढ़ और गाँव की लड़की से ज्यादा दवाब शहर की या पढ़ीलिखी लड़की पर होता है ऐडजस्ट करने का वरना काहे की पढ़ीलिखी या शहर की तो ऐसी ही होती हैं जैसे इल्जाम लग ही जाते हैं..
अजय गाँव का होनहार लड़का रेलवे में इंजीनियर अब शादी भी किसी काबिल लड़की से होनी होगी..तो शहर की पढ़ीलिखी लड़की सिया का रिश्ता आया।
गाँव होने से सिया के घरवाले झिझक रहे थे कि लड़की ऐडजस्ट न हो पाएगी..मगर फिर दौनों पर छोड़ दिया ।
अजय सिया मिले एक दूसरे को पसंद किया..अजय ने वादा किया कि कोई दिक्कत हुई तो वो सिया का हमेशा साथ देगा..।
शादी हो गयी़ ..सिया ससुराल गाँव आ गयी सालभर तक तो रश्में चलेंगी अतः गाँव का रिवाज पति के साथ नौकरी पर नहीं जा सकती..जब दूसरी बार सिया ससुराल आई तो सुबह सुबह सासू ने दरवाजा खटखटाया..
बहू !!! ऊठो..
क्या हुआ मम्मी जी चाय बना दूँ?
अरे अभी कहाँ ?अभी तो भैंसो का दूध निकलेगा ,तब चाय बनेगी ! चल पहले नौहरे में से भैंसों का गोबर तो उठाले..कहते हुए सास ने गोबर की बदबूदार परात सिया के हाथ में थमा दी..।
सिया ने कभी देखा भी नहीं था..पटक कर पति को जगाया..जी ! बड़ी बदबू है कैसे करूँ ? पति ने कहा चल मै चलता हूँ..जाकर गोबर उठाता परात में डालता...
पति के साथ साँस रोककर बड़ी मुश्किल से सिया ने भी उठाया..और कभी पति तो कभी खुद सिया के सिर पर रख देता, वो दूर डालकर दौनों ने उपले बनाए।
सिया बहुत कहती जी मुझसे नहीं होगा..मगर पति कहता मै हूँ ना..पति को करता देख शरम के मारे सिया भी करने लगी..फिर एक दो बार सिया ने सोचा इनको क्यों जगाऊँँ खुद ही अकेली उठा आती..।
इसी बीच पति एक दो बार नौकरी पर भी हो आया..सिया भी मायके .सिया भले संस्कारों की लड़की थी..मायके में सब छुपा गयी..।
फिर करीब छैः महीने हो गये सिया पति के साथ मायके गयी..और अपनी भाभी बहिन सहेली सब में बड़ी शान से सुना रही थी..
"हमारे ना ग्यारह पौए हैं..भैंस गाय बच्चे सब मिलाकर..!
इतना दूध होता है..!
मेरी सास न कंडों का बिटौड़ा बना लेती हैं !
बड़ी सुंदर डिजाइन डालती हैं..!
मैने न.. दूध निकालना भी सीख लिया..!
पता है भाभी ? शुरु में न मुझे कंडे बनाना भी नहीं आता था..मेरी सास ने और इन्होंने सब सिखा दिया मुझे।
हमारे इतने खेत हैं..रोज सी पिकनिक मनती है मेरे ससुराल में बहुत टेस्टी लगता है खेतों पर खाना..!
सच में आप आओगी तब सब दिखाऊँगी ।
सिया का पति अजय दूसरे कमरे में बैठा बैठा सिया की मासूमियत पर मुस्कुरा रहा था..।
लौट कर अगले दिन जब सिया गोबर उठाने जाने लगी तो पति ने रोका पूछा..सिया तुम्हें तो गोबर से बदबू आती है न?..
सिया बोली..ना जी गोबर में बदबू बिलकुल नहीं होती आपने सही कहा था..पता नहीं शुरू में मुझे ऐसा क्यों लगा..?
अजय जोर से हँसा..और बोला सिया गोबर में अभी भी बदबू होती है..पर अब तेरी नाक चमारी हो गयी..(आदत हो गयी)
सिया ने कहा जो भी हो..मुझे क्या ?
प्यार में लोग क्या क्या कर जाते हैं ..मैने तो आपके प्यार में बस गोबर ही उठाया है..!.
आपने मुझे परिवार में ऐडजस्ट होने में मदद की है..मै भी नहीं चाहती कोई कहे कि अजय की बहू तो घमंडी है..इतराती है..।
सिया माहौल में पूरी तरह ढल चुकी थी।
शायद प्यार में इतनी ताकत होती है कि इंसान उसके भरोसे समझौता, समर्पण खुशी खुशी कर लेता है।
#तरू
इस कहानी को हमारे पास एक पाठक ने मेल के माध्यम से भेजा है उनका नाम है :- Aarzoo vaishnav.
मैं इनका दिल से शुक्रिया करता हूँ जिनकी वजह इतनी सूंदर कहानी हम सबके के समक्ष आई ! 🙏🙏
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